सांकली दोहे -संदीप सृजन

नया प्रयोग ...सांकली दोहे ....
आज चुटकुले देखिए, बन कवि की सन्तान ।
काव्य मंच से ला रहे, अर्थ और सम्मान ।।
अर्थ और सम्मान के , लिए लगाई  होड़ ।
कविता का क्षारण किया , भाषा तोड़ मरोड़ ।।
भाषा तोड़ मरोड़ कर, करता जो संवाद ।
आधुनिक साहित्य जगत, उसको देता दाद ।।
@संदीप सृजन

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